आचार्य रघुवीर: Acharya Raghuveer

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Prabhāta Prakāśana, Feb 20, 2015 - Biography & Autobiography - 168 pages
On the life and work of Acharya Raghuvīra, 1902-1963, indologist.

About the author (2015)

डॉ. शशिबाला पिछले 38 वर्षों से आचार्य रघुवीरजी द्वारा स्थापित संस्था ‘सरस्वती विहार’ में उनके सुपुत्र डॉ. लोकेश चंद्रजी के सान्निध्य में अनुसंधान कार्य कर रही हैं। उन्होंने 15 वर्षों तक राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, नई दिल्ली में दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों तथा जापान की कला का इतिहास पढ़ाया है। उन्होंने इंडोनेशिया से प्राप्त ‘संस्कृत व्याकरण खंड’, ‘जापान में वैदिक देवता’, ‘तत्त्वसंग्रह’ तथा ‘वज्रधातुमंडल’, ‘जापानी कला का इतिहास’, ‘Buddhist Art’, ‘In Praise of the Divine’, ‘Divine Art’, ‘Manifestations of Buddhas’ आदि पुस्तकें तथा एशिया के देशों के कला-इतिहास तथा संस्कृति, संस्कृत, भारतीय लिपियों, दर्शन एवं संस्कार आदि विषयों पर पचपन अनुसंधान लेख तथा अनेक लघु लेख लिखे हैं, जो देश तथा विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत किए गए हैं।
यूरोप और एशिया के विभिन्न देशों की अनेक बार यात्राओं के समय उन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों में, गोष्ठियों में तथा आकाशवाणी बी.बी.सी. से भाषण प्रस्तुत किए हैं। भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रचार करने वाले महान् आचार्यों में से कुमारजीव तथा अतीश पर उनके द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनियों का बृहत् रूप से स्वागत हुआ है।

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