TarkasamgrahaMotilal Banarsidass Publishe, 2008 - 184 pages |
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अतः अतिरिक्त अतिव्याप्ति अनुमान अनुमिति अनुसार अभाव अर्थ है अर्थात् आदि इति इत्यादि इस प्रकार इसका इसलिये ईश्वर उक्त उत्पन्न उसका उसके उसमें एक एवं ऐसा ऐसी स्थिति में कर करण करते कला कल्पना कहते हैं का कारण किं लक्षणम् किन्तु की के केवल कोई क्योंकि गुण चाहिये चेन्न जहाँ जाती जाय जिस जैसे जो ज्ञान तथापि तो दिया दीपिका द्रव्य द्वारा धर्म ननु नहीं है नहीं हो सकता नहीं होता नित्य पक्ष पद पदार्थ पर पृथिवी प्रकारका प्रति प्रत्यक्ष प्रमाण बिना बोध भिन्न भी भी है भेद मत माना में में भी यथा यदि यद्यपि यह यहाँ या रहता है लक्षण लिए लिये वह वहाँ विशेषण शक्ति शङ्का शब्द सकता है सति सभी समाधान समान सम्बन्ध संयोग साथ सिद्ध से हिन्दी ही है हुआ हुए हेतु हैं है और है कि है तथा हो जाता है हो जायगा होकर होगा होगी होता है होती होने होनेसे