Jagadguru SankracharyaSuruchi Prakashan - 24 pages |
Common terms and phrases
अत अथवा अनुभूति अनेक अपना अपनी अपने अब अवस्था आत्मा आध्यात्मिक आशीर्वाद इस ईश्वर उनका उनकी उनके उनसे उन्हें उन्होंने उपनिषद उस उसकी उसने उसे एक और कर करते करना करने के लिये कश्मीर कहा का कार्य काशी कि कि वह किन्तु किसी की की सेवा की स्थापना की कुछ केवल को कोई क्या गया गये गिरि गुरु गुरुकुल घर चार चाहते जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया दी दो द्वारा नदी नहीं पर पवित्र पुत्र पूर्णा नदी प्रकार प्रति प्राप्त प्रार्थना फिर बालक ब्रह्म भक्ति भगवद्गीता भगवान भारत भिक्षा भी मंडन मिश्र मठ महान माँ माँ की मुझे में मैं यदि यह रही रहे रूप में लिया वर्ष वह वहाँ विद्वान वे वेदान्त व्यक्ति शंकर ने शंकराचार्य शंकराचार्य ने शक्ति शास्त्रार्थ शिष्य संन्यासी संस्कृत सत्य सभी समय सामने से सेवा में स्मरण स्वयं हम हिन्दू धर्म ही हुआ हुये हेतु है हैं हो