Rājasthāna kī Hindī kavitā |
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अधिक अनेक अन्य अपनी अपने अपभ्रंश आदि इतिहास इन इनकी इनके इस इसमें उदयपुर उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने एक एवं कर करने कवि की कवि ने कविता कविताओं कवियों कहा कहीं का काव्य काव्य का काव्य में किन्तु किया है किसी की की रचना की है कुछ कृति के प्रति के साथ को गई गया है गये गीत ग्रन्थ चेतना छन्द जयपुर जा जी जीवन जो जोधपुर डा० तक तथा तो था थी थे दिया द्वारा नये नहीं नहीं है नाम पर परम्परा परिवेश पृ० प्रकार प्रकाशित प्रयोग प्रस्तुत प्राकृत प्रादि प्रौर बीकानेर भरतपुर भारत भाव भाषा भी मन में कवि ने में भी यह या युग ये रस रहा है रही रहे राजस्थान के राम लेकिन वर्णन वह वीर वे व्यक्ति शब्दों श्रौर संस्कृत सब समय साहित्य सृजन से स्वर हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ है हुई है और है कि हैं हो होता होते होने