Pranayam Kundaline Aur HatyogDiamond Pocket Books (P) Ltd. - 136 pages |
Contents
योग क्या है | 7 |
योग के प्रकार | 10 |
हठयोग | 14 |
योग के अंग | 15 |
आसन | 17 |
आसन करते समय ध्यान देने योग्य बातें | 31 |
हठयोग एवं षट्कर्म | 33 |
षट्कर्म साधना | 36 |
कुण्डलिनी कैसे जगाएं ? | 91 |
पांच यम | 93 |
पांच नियम | 96 |
प्राणायाम | 98 |
आसन | 99 |
प्रत्याहार | 100 |
धारणा | 102 |
समाधि | 105 |
मुद्राएं | 43 |
योग के अंगों में प्रमुख प्राणायाम | 49 |
प्राणायाम क्या है? | 52 |
प्राणायाम के भेद एवं विधियां | 53 |
प्राणायाम से लाभ एवं चमत्कार | 62 |
प्राणायाम के चमत्कार | 65 |
प्राणायाम में सावधानियां | 69 |
प्राणायाम और कुण्डलिनी | 70 |
भाग 2 | 71 |
कुण्डलिनी क्या है ? | 73 |
कुण्डलिनी जागरण से परिवर्तन | 78 |
कुण्डलिनी और जीवन व्यवहार | 83 |
ऊर्जा | 85 |
कुण्डलिनी जागरण में बाधक तत्त्व | 87 |
कुण्डलिनी का जागरण | 109 |
आवश्यक सावधानियां | 111 |
छः चक्रों का भेदन | 116 |
शक्तिपात करना कराना | 117 |
कुण्डलिनी जागने पर | 118 |
आपका कर्तव्य | 119 |
भाग3 | 120 |
हठयोग एवं सिद्धियां | 121 |
सिद्धियों से लाभ | 125 |
सिद्धियों से हानियां | 127 |
हठयोग एवं आध्यात्मिक उन्नति | 131 |
हठयोग और कुछ भ्रांत धारणाएं | 134 |
योगाभ्यास और गृहस्थाश्रम | 136 |
Common terms and phrases
अंग अतः अनेक अपने अभ्यास आत्मा आदि आप आसन इस इस प्रकार इसमें इसी इसे ईश्वर उस उसी उसे ऊपर ऊर्जा एक ऐसे कर सकते हैं करके करता है करते हैं करना करने करें का कार्य किन्तु किया किसी की ओर कुछ कुण्डलिनी कुम्भक के द्वारा के लिए को कोई क्रिया चाहिए जब जल जागरण जाती जाते हैं जाने जो ज्ञान तक तथा तब तो दूर दें दोनों ध्यान नहीं है ने पतंजलि पर पूरक प्रत्याहार प्राण प्राणायाम प्राप्त फिर बहुत बाद बाहर बिना ब्रह्मचर्य भी मन मनुष्य मुद्रा में में भी यदि यम यह यही या योग योगी रखें रहता है रहे रहें रूप रेचक रोग लाभ लें लोग लोगों वह वायु वाले विषय वे व्यक्ति शक्ति शरीर शरीर में सब सभी समय समाधि सांस साधना सिद्ध से स्थान हठयोग हम ही हुए हृदय है और है कि है तो हो जाता है होता है होती होते हैं होने