Bade Ghar Ki Beti

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Alekh Prakashan, 2008 - Man-woman relationships - 24 pages
Story about Anandi, a girl from a wealthy family, and her dilemma of selecting her future husband.
 

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अपनी अपने अब आँखें आकर आज आनंदी ने आप आया इतना इन इलाहाबाद इस इस घर में इसी ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उसकी उसके उसने उससे उसे ऋण एक ऐसा ऐसी और कई कभी करते थे कहाँ का काम कि किया किसी की कुछ के के साथ कैसे को कोई क्या क्यों क्रोध खड़ाऊँ गए गाँव के घी चाहते चाहे जब जाए जाता जिस जो ठाकुर तक तरह तो था कि थी थे दरवाजे दिन दिया देते दो दोनों न था नहीं नहीं है ने कहा पर पीछे फिर बड़े घर की बहुत बात पर बातें बाहर बेनीमाधव सिंह बोला बोले भाई भी भैंस भैया मन मुँह मुझसे मुझे मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह यहाँ या रहा रही रहे लगा लालबिहारी ने लिया वह वहाँ शनिवार श्रीकंठ श्रीकंठ सिंह सकता सके सब समय सिर से स्त्रियों ही हुआ हुई हुए हूँ है हैं हो गया होती

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