Adhunik Hindi Kavya Aur Purankatha

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Lokbharti Prakashan, Sep 1, 2007 - 299 pages
 

Contents

Section 1
4
Section 2
5
Section 3
9
Section 4
25
Section 5
52
Section 6
55
Section 7
67
Section 8
87
Section 9
132
Section 10
153
Section 11
215
Section 12
257
Section 13
285
Section 14
286

Common terms and phrases

अतः अथवा अधिक अनेक अपनी अपने आदि आधार आधुनिक इन इस ई० उनके उर्मिला उर्वशी उस उसके एक एवं और कथा का कथाओं कर करके करता है करते हैं करना करने कवि ने कवियों का वर्णन काव्य किन्तु किया गया है किया है की कथा की है कृष्ण के के कारण के प्रति के माध्यम से के रूप में के लिए के साथ केवल को गई ग्रहण चरित्र जाता है जीवन जो तक तत्कालीन तथा तरह तो था थी थे दिया दृष्टि द्वारा नवीन नहीं है पर पश्चात् पात्रों पुराण पुराणों पृ० पौराणिक प्रकार प्रतीक प्रथम प्रदान प्रसंग प्रसंगों प्रस्तुत प्राप्त प्रेम मन मनु मानव मूल में भी यह युग रचना रचनाओं राधा राम रामायण रावण वह वही विभिन्न विविध विशेष वे शिव श्री संकेत सन् समय सम्पूर्ण सम्बद्ध साहित्य सीता स्वीकार हिन्दी ही हुआ है हुई हुए है कि हो होकर होता है होती होने

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