Bhartiya Kavyashastra Ki Bhumika

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Lokbharti Prakashan
 

Contents

Section 1
4
Section 2
5
Section 3
8
Section 4
9
Section 5
39
Section 6
54
Section 7
63
Section 8
77
Section 9
86
Section 10
92
Section 11
99
Section 12
109
Section 13
122

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Common terms and phrases

अनुसार अपनी अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आचार्य आदि आधार आनन्द आलोचक आस्वादन इन इस प्रकार इसके इसी इसे उसका उसकी उसके एक एवं औचित्य कर करके करता है करते हुए करते हैं करने कर्म कला कलात्मक कवि कवि के कविता के कहते कहा का कालिदास काव्य काव्य के काव्यशास्त्र किन्तु किया गया किया है की के अन्तर्गत के बाद के रूप में के लिए के साथ केवल को गया है चर्चा चित्त चिन्तन जा जाता है जीवन जैसे जो ज्ञान तक तत्त्व तथा तो था दृष्टि दोनों द्वारा नहीं नहीं है नाम ने पर परम्परा पश्चिमी प्रतिभा प्रश्न भक्ति भरत भारतीय कविता भारतीय साहित्य भाव भाषा भी मन्तव्य महाभारत मूल मूल्यों यह यहाँ यही या ये रस राम लोक वर्णन वह वाल्मीकि रामायण विकास विषय शती शब्द शब्दार्थ संस्कृत सन्दर्भ में सम्पूर्ण सर्जक सामाजिक सिद्धान्त से से सम्बद्ध स्वरूप ही हुआ है और है कि हो होता है

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