Bharatendu samagra: Bharatendu gramthavali. Sabhi khanda aura aneka alabhya samagri jilda memPracāraka Granthāvalī Pariyojanā, Hindī Pracāraka Saṃsthāna, 1989 - 1114 pages Complete works of Bharatendu Hariscandra, 1850-1885, Hindi author. |
Common terms and phrases
अति अपने अब अरे आई आज आप इक इन इस एक ओर और कछु कर करत करि कहा का काम कि किया की कुछ कृष्ण के कै को कोई कोउ कौन क्या क्यों गई गया घर चाणक्य चिन्ह छबि जग जन जब जय जात जिन जिय जी जू जो तन तब तुम तुव तू तें तो था दिन दुख देखि देत नहिं नहीं नाम निज नित ने नैन पद पर परम पिय पै प्यारे प्रगट प्रान प्रेम फिर बन बहु बहुत बात बिधि बिना बिनु ब्रज भई भयो भारत भी मन मनु महाराज मिलि मुख में मेरी मेरे मैं मोहन मोहिं यह या ये रंग रस रहत रही रहे राक्षस राजा राधा राम री रूप रे लखि लाल लै लोग वह वे श्याम श्री सखी सदा सब सबै सी सुंदर सुख से सो सों हम हरि हरीचंद हाथ हाय हित ही हुआ है है कि हैं हो होत