खाँटी किकटिया (Khanti Kikatia): आजीवक मक्खलि गोसाल के जीवन-दरसन पर आसरित उपन्यासइस मगही उपन्यास में 600 ईसा पूर्व समाज के सांस्कृतिक और राजनीतिक द्वंद्व का चित्रण है. जब महावीर और बुद्ध सहित अनेक दार्शनिक पुरानी और नयी व्यवस्थाओं के बीच अपना पक्ष चुन रहे थे. ‘खाँटी किकटिया’ उसी संक्रमणकालीन दौर के वैचारिक संघर्ष को उद्घाटित करता है जिसके बारे में भारतीय इतिहास और साहित्य हमें कोई विशेष जानकारी नहीं देता. |
Common terms and phrases
अइसन अउ अखनी अगुआन अपन अपने अब अवाज आउ आगू इया इहे ई बात उनखर उनखा एक एकरा एगो एहे ओकर ओकरा ओला ओहनी के कइसे कय कर करइत करऽ करे कह कहलखिन कहलथी का काहे कि किरिया कुच्छ कूनिक के बात केकरो कोय खाली गांव गेलइ गेलइ हल गेलथी गो घर चल जइसन जनाना जब जा जादे जाय जे तक तऽ तू दन्ने दिन दू दून्नो देह दोसर नय नयं नयं हलइ नऽ नियर पर पहिले पुरखा फिन बकि बड़ बरधमान के बरिस बात बाद बिचार बिहार बेबस्था बेर बेरा बेस बैसाली भण्डरिया भम्भसार भिरु भी मक्खलि के मग्गह के मति मनुख के में रहऽ लगल लेल लोग लोग के श्रमण श्रेणिक संघ सब सब के सबके सबसे समाज सुन से हइ हथ हथी हमरा हम्म हम्मनी हम्मर हल हलइ हलइ कि हलथी हऽ हाथ हियइ ही हे हे कि हो गेल होवऽ हइ